रविवार, 24 दिसंबर 2017

समास किसे कहते हैं ?

प्रश्न - समास किसे कहते हैं ?
उत्तर-  समास का अर्थ है -'संक्षिप्तीकरण'  ।  दो  या दो से अधिक पदों या शब्दों के योग को  समास कहते हैं ।  जिन पदों या शब्दों के योग से समास बना है ,उनमें से पहले पद को पूर्व पद और दूसरे पद को उत्तर पद कहते हैं ।
अतः दो या अधिक पदों का अपने विभक्ति- चिन्हों  या अन्य प्रत्ययों को विलुप्तकर आपस में मिल जाना ही , समास है।  
समास होने के पहले  पदों के रूप को  'समास विग्रह' कहा जाता  है।  समास होने के बाद बने संक्षिप्त रूप को 'समस्त पद' कहते हैं।
उदाहरण -
1. मोहन पथ से भ्रष्ट हो चुका है ।
2. मोहन पथभ्रष्ट हो चुका है। 
उपर्युक्त पहले उदाहरण में  पथ से भ्रष्ट समास विग्रह है ( पदों का विखरा हुआ रूप) और दूसरे उदाहरण में पथभृष्ट सामासिक पद (समस्तपद)  है , जो विभक्तियों के लोप होने के बाद दोनों पदों के आपस में मिल जाने के बाद बना है।  
नीचे कुछ समास विग्रह और समस्त पदों के उदाहरण दिए गए हैं -
जैसे-  
शक्ति के अनुसार - यथाशक्ति  (यहाँ पर विभक्ति चिन्ह 'के' का लोप होकर यथाशक्ति बना )
 नीला कमल - नीलकमल (यहाँ पर 'आ' प्रत्यय  का लोप होकर नीलकमल  बना )
 चार राहों का समूह -  चौराहा (यहाँ पर संक्षेप होकर चौराहा बना  )
 पीला  अम्बर - पीताम्बर( यहाँ दो पद पीला और अम्बर मिलकर पीताम्बर बना )
नाक और कान - नाक-कान यहाँ दो पद के मध्य  'और' को हटाकर  नाक-कान बना )

मंगलवार, 19 दिसंबर 2017

कर्मधारय समास किसे कहते हैं ?

कर्मधारय समास किसे कहते हैं ?
उत्तर -जिस समास में पूर्व पद विशेषण (उपमान ) और दूसरा पद ( उत्तरपद ) विशेष्य ( उपमेय ) हो, उसे कर्मधारय समास कहते हैं  | इस समास में उत्तरपद प्रधान होता है | जैसे- 
सामासिक पद                                  विग्रह 
प्रधानाध्यापक                                 प्रधान अध्यापक
नीलकमल                                      नीला  कमल
पीताम्बर                                        पीला  अम्बर
महापुरुष                                         महान पुरुष
सत्याग्रह                               सत्य के लिए आग्रह
कमलनयन                             कमल के समान नयन 
महाकवि                                महान है जो कवि 
नराधम                                      अधम है नर जो 
सदधर्म                                    सत है धर्म जो 
क्रोधाग्नि                                 क्रोध रूपी अग्नि 
वचनामृत                               वचन रूपी अमृत 
मृगनयन                                मृग के समान नयन 
महारानी                                       महती रानी 
परमेश्वर                                       परम् ईश्वर 
नीलोत्पल                                    नीला उत्पल 
कापुरुष                                       कायर पुरुष 
चन्द्रमुख                                  चन्द्र के समान मुख 
चरण-कमल                                चरण रूपी कमल 
परमानंद                                      परम है जो आनंद 

द्विगु समास किसे कहते हैं ? उदहारण सहित समझाइए |


उत्तर- जिस समास का पूर्व पद संख्यावाची विशेषण हो, उसे द्विगु समास कहते हैं | इसमें समूह या समाहार का बोध होता है| जैसे - 
सामासिक शब्द                 विग्रह 
पंचवटी                             पांच वटो का समूह 
नवग्रह                              नव ग्रहों  का समूह 
दोपहर                              दो पहरों का समाहार 
चौराहा                              चार राहों का समाहार 
सप्तर्षि                              सात ऋषियों का समाहार 
सप्ताह                              सात दिनों का समाहार 
षट्कोण                             छह कोणों का समाहार 
अठन्नी                               आठ आनों का समाहार 
त्रियुगी                              तीन युगों का समाहार 
त्रिभुज                              तीन भुजाओं का समाहार 
त्रिलोक                              तीन लोकों का समाहार 
नवरात्र                               नौ रात्रि का समूह 
तिरंगा                                तीन रंगों का समाहार 
त्रिदेव                               तीन देवताओं का समाहार
तिकोना                             जो तीन कोनों का हो
पंचरत्न                             पाँच रत्नों का समूह
तिराहा                              तीन राहों का संगम
सतरंग                              सात रंग का
नवरत्न                             नौ रत्नों का समूह
चतुर्भुज                            चार भुजाओं का (आकार)
दुमंजिला                          दो मंजिल का (मकान)
दुपहिया                            दो पहिया वाला (वाहन)
पनसेरी                             पाँच सेर का बॉट
नौलखा                           नौ लाख रुपये के मूल्य का
शताब्दी                          शत् अब्दों (वर्षों) का समूह



द्वन्द्व समास किसे कहते हैं ? उदहारण सहित समझाइए |

उत्तर - जिस समास में दोनों पद प्रधान होता है , वहां द्वन्द्व समास होता है | समास विग्रह करते समय और ,या, एवं आदि का प्रयोग किया जाता है | जैसे -
सामासिक शब्द                  विग्रह 
माता-पिता                        माता और पिता 
देश-विदेश                        देश और विदेश 
रात- दिन                         रात और दिन 
लम्बा-चौड़ा                      लंबा एवं चौड़ा 
लाभ- हानि                      लाभ या हानि 
अमीर-गरीब                    अमीर और गरीब 
नर-नारी                          नर और नारी 
भरा पूरा                          भरा और पूरा 
भला- बुरा                        भला या बुरा 
पाप- पुण्य                       पाप या पुण्य 
देवासुर                           देव और असुर 
राधाकृष्ण                       राधा और कृष्ण 
धनुर्वाण                         धनुष और वाण 
हरिशंकर                        हरि और शंकर
द्वंद्व समास के प्रकार
इस समास को तीन भागों में बाँटा गया है-
(अ) इतरेतर द्वंद्व - जहाँ दोनों पदों का बराबर महत्त्व होता है ,वहाँ इतरेतर द्वंद्व समास होता है।
जैसे- माता- पिता खाना खा रहे हैं।
यहाँ पर माता और पिता दोनों खाना खा रहे है का आशय व्यक्त होता है । अर्थात दोनों पदों का महत्त्व समान है। 
इस समास का विग्रह और, एवं, तथा,व आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
(ब) विकल्प द्वन्द्व - दोनों पदों में से किसी एक पद (विकल्प) का अर्थ  सही होता है।  जैसे- व्यापार में घट- बढ़ हो रही है। इस वाक्य में घट- बढ़ सामासिक पद है। व्यापार में किसी एक समय में घट होगी या बढ़ होगी। अतः यहाँ पर घट अथवा बढ़ में से  कोई एक विकल्प किसी व्यापार में घटित होगा।
इस समास का विग्रह 'या' , 'अथवा' शब्दों की सहायता से किया जाता है।
(स) समाहार द्वंद्व - जब सामासिक पद में दो से अधिक समूह का बोध हो, समाहार द्वंद्व समास कहलाता है। जैसे- हाथ- पाँव बचाकर काम करें। इस वाक्य में हाथ- पाँव सामासिक पद है। यहाँ इस पद का अर्थ हाथ पैर आदि बचाकर कार्य करने से है। ( सिर्फ हाथ-पैर ही नहीं शरीर के अन्य अंगों को भी बचाकर कार्य करने के लिए कहा जा रहा है। 
इस समास का विग्रह 'आदि', 'इत्यादि' शब्दों के साथ किया जाता है। 

कारक के आधार पर तत्पुरुष समास के कितने भेद है ? उदाहरण सहित समझाइए ।

उत्तर - कारक के आधार पर तत्पुरुष समास के छः भेद हैं -

  1.  कर्म तत्पुरुष - जिस समास के पूर्व पद में कर्म कारक ( को )  का लोप होता है , उसे कर्म तत्पुरुष कहते  हैं ।  जैसे - शरणागत - शरण को आया हुआ । स्वर्ग- प्राप्त - स्वर्ग को प्राप्त।  विदेश-गमन - विदेश को गमन, विकासोन्मुख - विकास को उन्मुख, पक्षधर - पक्ष को धारण करने वाला, तर्कसंगत- तर्क को संगत, मरणासन्न - मरण को आसन्न  आदि । 
  2. . करण तत्पुरुष -  जिस समास के पूर्व पद में करण  कारक ( से ,द्वारा  )  का लोप होता है , उसे करण  तत्पुरुष कहते हैं । जैसे - तुलसीकृत - तुलसी द्वारा कृत । हस्तलिखित - हाथ से लिखा हुआ । इतिहास सम्मत - इतिहास से सम्मत। कालप्रवाह - काल का प्रवाह।  परम्परा-प्राप्त - परम्परा से  प्राप्त।  राज्यच्युत - राज्य से च्युत। बैलगाड़ी-  बैलो से चलने वाली गाड़ी। अकाल पीड़ित- अकाल से  .पीड़ित।मोहांध - मोह से अंधा। धर्मांध - धर्म से अंधा । आँखों देखी - आँखों से देखी । भड़भूजा- भाड़ द्वारा भूजनेवाला । मदांध - मद (घमंड) सा अंधा । मदमत्त- मद  से मत्त । क्षुधातुर- क्षुधा से आतुर । वाग्युद्ध- वाक् से युध्द   आदि  
  3. संप्रदान तत्पुरुष - जिस समास के पूर्व पद में सम्प्रदान  कारक ( के लिए )  का लोप होता है , उसे सम्प्रदान  तत्पुरुष कहते हैं । जैसे - देश-भक्ति - देश के लिए भक्ति । रसोईघर - रसोई के लिए घर । डाकगाड़ी- डाक के लिए गाड़ी।  विद्यालय - विद्या ( देने ) के लिए आलय।  हवन-सामग्री- हवन के लिए सामग्री।  हथकड़ी - हाथ के लिए कड़ी।  सत्याग्रह - सत्य के लिए आग्रह।  भूतबलि - भूत के लिए बलि।  छात्रावास- छात्रों के लिए आवास।  समाचार-पत्र - समाचार के लिए पत्र।  यज्ञशाला - यज्ञ के लिए शाला।  रेलभाड़ा- रेल के लिए भाड़ा।  जनहित - जन के लिए हित।  कृषिभवन- कृषिभवन, युववाणीं - युवाओं  के लिए वाणीं।  चूहेदानी - चूहे के लिए दानी। कर्णफूल - कर्ण  के लिए फूल।  हथफूल- हाथ के लिए फूल। मालगाड़ी - माल ढोने के लिए गाड़ी   आदि 
  4. अपादान तत्पुरुष-  जिस समास के पूर्व पद में अपादान   कारक (से )  का लोप होता है , उसे अपादान   तत्पुरुष कहते हैं । जैसे - पथभ्रष्ट - पथ से भ्रष्ट । जन्मांध - जन्म से अंधा। ऋण मुक्त- ऋण से मुक्त।  पदच्युत- पद से च्युत ( पृथक ) आशातीत- आशा से अतीत।  कामचोर- काम से चोर।  धर्मविरत - धर्म से विरत ( अलग) । हतश्री- श्री से हत ( रहित)।  विवाहेत्तर- विवाह से इतर।  राजद्रोह - राज से द्रोह।  लोकभय - लोक से भय।  
  5. अधिकरण तत्पुरुष - जिस समास  में अधिकरण  कारक (में,पर  )  का लोप होता है , उसे अधिकरण    तत्पुरुष कहते हैं । जैसे - आपबीती - अपने पर बीती । पुरुषोत्तम - पुरुषों  में उत्तम । कविराज- कवियों में राजा।  देवराज - देवों  में राजा।  सिरदर्द- सिर में दर्द।  ऋषिराज - ऋषियों में राजा।  गृहप्रवेश - गृह में प्रवेश।  घुड़सवार - घोड़े में सवार।  तल्लीन- उसमें (तद् ) में लीन। मनमौजी - मन में मौजी।देवाश्रित - देव  पर आश्रित।
  6. सम्बन्ध तत्पुरुष -  जिस समास  में सम्बन्ध  कारक (का,के,की )  का लोप होता है , उसे सम्बन्ध   तत्पुरुष कहते हैं । जैसे - राजपुरुष - राजा का पुरुष । घुड़दौड़ - घोड़ों की दौड़ । नरबलि - नर  की  बलि। स्वास्थ्यवर्धक - स्वास्थ्य का वर्धन करने वाला।  रक्तपात- रक्त का पात।  दुःखसागर - दुःख का सागर।  रामचरित- राम का चरित।  नियमावली- नियमों की अवली।  मृत्युदंड - मृत्यु का दंड।  मंत्रिपरिषद - मन्त्रियोंकी परिषद् 

नञ तत्पुरुष  ( नकारात्मक अर्थ देने वाला समास )

  • दूसरा पद प्रधान होता है।  
  • रूप परिवर्तन होने के कारण यह अव्ययीभाव से अलग है।  
  • इस समास के पूर्व नकारात्मक अर्थ व्यक्त करने वाले उपसर्गों का प्रयोग होता है।  जैसे - अ , अन आदि 
उदहारण - अनाथ, अछूत, अधर्म, अदृश्य, अमंगल, अलौकिक, अकारण, असत्य, अचेतन, अज्ञान, अधीर, अनश्वर, अविकल्प, अप्रिय, अकाल, असभ्य , अनाचार, अनभिज्ञ , अनिष्ट, अनादि, अनावश्यक, अनसुना, अनछुआ, अनदेखा, अनचाहा, अनजाना, अनवन, अनपढ़ आदि। 

अव्ययीभाव समास को उदाहरण सहित समझाइए ?


उत्तर -  जिस समास में पहला पद अव्यय और दूसरा पद संज्ञा,विशेषण या क्रिया विशेषण  होता है । उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं । इस समास में पहला पद प्रधान होता है ।  जैसे 

सामासिक शब्द                  विग्रह 
प्रतिदिन -                             प्रत्येक दिन या दिन-दिन 
यथाशक्ति -                           शक्ति के अनुसार 
भरपेट -                                पेट भर 
प्रत्येक  -                              एक-एक के प्रति 
आजन्म  -                            जन्म पर्यन्त 
आजीवन                               जीवनभर 
यथासमय                             समय के अनुसार 
निर्भय                                   बिना भय का 
मनमाना                               मन के अनुसार 
घड़ी-घड़ी                               घड़ी के बाद घड़ी 
प्रत्युपकार                             उपकार के प्रति 
प्रतिमास                               प्रत्येक मास 
अनुगुण                                 गुण के योग्य 
आद्योपांत                               आदि से अंत तक 
अध्यात्म                               आत्मा से सम्बंधित 
प्रत्यंग                                   अंग-अंग
परोक्ष                                     अक्षि के परे 
प्रत्यक्ष                                    अक्षि के प्रति 
अनुरूप                                   रूप के अनुसार 


सोमवार, 18 दिसंबर 2017

समास ( वस्तुनिष्ठ प्रश्न)

समास ( वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
1. समास का शाब्दिक अर्थ होता है - 
(अ) विच्छेद  (ब) विग्रह  (स) संक्षेप  (द) विस्तार 
2. किस समास के दोनों शब्दों के समानाधिकरण होने पर कर्मधारय समास  होता है - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व     (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
3 . दो  शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहते हैं - 
(अ) छन्द  (ब) सन्धि     (स) समास  (द) अव्यय 
4 . आजन्म में कौन -सा समास है - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व     (स) तत्पुरुष  (द) अव्ययीभाव 
5 . 'चतुर्भुज' में कौन-सा समास है  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व     (स) तत्पुरुष  (द) कर्मधारय 
6 . 'विद्यार्थी' में कौन- सा समास है -
(अ) बहुब्रीहि   (ब) कर्मधारय   (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
7 . 'चक्रपाणि' में कौन-सा समास है- 
(अ) बहुब्रीहि  (ब) अव्ययीभाव  (स) तत्पुरुष  (द) कर्मधारय 
8 . पाप-पुण्य में कौन-सा  समास  है - 
(अ) बहुब्रीहि  (ब) द्वंद्व  (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
9. वह कौन-सा समास है जिसका  उत्तरपद प्रधान होता है - 
(अ) अव्ययीभाव  (ब) द्वंद्व     (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
10 . वह कौन-सा समास है जिसका  प्रथम पद प्रधान होता है - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व     (स) तत्पुरुष  (द) अव्ययीभाव 
11 . वह कौन-सा समास है जिसका  पहला पद संख्यावाची और दूसरा पद संज्ञा  होता है - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व     (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
12 . 'नीलकमल' में कौन-सा समास है  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) कर्मधारय   (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
13 . वह कौन-सा समास है जिसका प्रथम पद गौण  होता है - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व     (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
14 . वह कौन-सा समास है जिसका  अन्य पद  प्रधान होता है - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व     (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
15 .  कौन-सा (शब्द) समस्तपद  बहुब्रीहि समास का उदाहरण है-- 
(अ) निशिदिन  (ब) पंचानन  (स) त्रिभुवन  (द) पुरुषसिंह 
16 . 'चौराहा' में कौन-सा समास है   - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व     (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
17 . 'दीनानाथ'  में कौन-सा समास है  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व   (स) तत्पुरुष  (द) कर्मधारय 
18 . 'परमेश्वर' में कौन-सा समास है  - 
(अ) द्वंद्व   (ब) कर्मधारय     (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
19. वह कौन-सा समास है जिसके दोनों पद  प्रधान होते  हैं  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व  (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
20. 'अनुगुण'  में कौन-सा समास है - 
(अ) बहुब्रीहि  (ब) द्वंद्व   (स) तत्पुरुष  (द) अव्ययीभाव 
21. 'रोगग्रस्त'  में कौन-सा समास है  - 
(अ) कर्मधारय   (ब) द्वंद्व   (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
22. 'छुटभैये' में कौन-सा समास है  - 
(अ) कर्मधारय   (ब) द्वंद्व     (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
23. 'अष्टाध्यायी'  में कौन-सा समास है  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व     (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
24. 'देशांतर' में  कौन-सा समास है  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व     (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
25. 'उन्नतिशील' में कौन-सा समास है  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व  (स) अव्ययीभाव   (द) द्विगु
26. 'निर्धन' में  कौन-सा समास है  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व  (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
27. 'मुख-दर्शन' में  कौन-सा समास है  - 
(अ) कर्मधारय   (ब) द्वंद्व   (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु 
28.  कौन-सा उदाहरण बहुब्रीहि समास का है - 
(अ) लम्बोदर   (ब) देशप्रेम   (स) परमेश्वर   (द) नीलकमल 
29.  कौन-सा उदाहरण द्विगु समास का नहीं है  - 
(अ) शतांश    (ब)त्रिफला  (स) दुपहर   (द) दशानन 
30. निम्नलिखित में से कर्मधारय  समास किसमें है- 
(अ) चक्रपाणि   (ब) चतुर्युगम  (स) नीलोत्पलम  (द) माता-पिता 
31. विशेषण और विशेष्य के योग से कौन-सा समास बनता है  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व   (स) कर्मधारय   (द) द्विगु
32. 'कन्यादान' में कौन-सा समास है  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व   (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
33. 'मृगनयन' किस  समास का उदाहरण है  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) कर्मधारय (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
34. द्विगु समास  का उदाहरण है  - 
(अ) अन्वय   (ब) दिन-रात  (स) चतुरानन  (द) त्रिभुवन 
35. 'गोशाला'  कौन-सा समास है  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व     (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
36. 'नरोत्तम' में कौन-सा समास है  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व   (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
37 . 'निशाचर' शब्द किस  समास का उदाहरण है  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) कर्मधारय  (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
38. 'युधिष्ठिर' शब्द का संबंध है - 
(अ) बहुब्रीहि से  (ब) द्वंद्व से  (स) तत्पुरुष से  (द) अव्ययीभाव से 
39. 'देवासुर' में कौन-सा समास है  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व     (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
40. इनमें से द्वंद्व समास का उदाहरण है - - 
(अ) नेत्रहीन    (ब) चौराहा    (स) पीतांबर   (द) धनुर्बाण 
41. वह कौन-सा समास है जिसका  उत्तरपद प्रधान होने के साथ ही साथ पूर्व तथा उत्तरपद में विशेषण और विशेष्य का संबंध भी होता है  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) कर्मधारय    (स) तत्पुरुष  (द) अव्ययीभाव
42.  'प्रतिदिन' में कौन-सा समास है  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व  (स) तत्पुरुष  (द) अव्ययीभाव
43. वह कौन-सा समास है जिसका  प्रथम पद अव्यय होता है - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) अव्ययीभाव  (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
44. 'तन-मन-धन' में  कौन-सा समास है  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व  (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
45 . 'गगनचुम्बी' में  कौन-सा समास है  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) कर्मधारय  (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
46. जिस समास में दोनों पद अप्रधान होते हैं, वहाँ कौन-सा समास  होता है - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व  (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
47. 'चतुर्भुज' में  कौन-सा समास है -
(अ) बहुब्रीहि   (ब) अव्ययीभाव  (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
48. 'साफ-साफ' में कौन-सा समास है  - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व     (स) तत्पुरुष  (द) अव्ययीभाव 
49 . 'मदान्ध' किस समास का उदाहरण है - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) द्वंद्व     (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
50. 'छमाही' शब्द किस समास का उदाहरण  है - 
(अ) बहुब्रीहि   (ब) कर्मधारय  (स) तत्पुरुष  (द) द्विगु
उत्तर 
1. स   2.स  3.स  4. द      5. अ     6. स     7. अ     8.ब      9.स    10.द  

11.द    12. ब   13.स    14.अ    15.ब    16.द    17.स    18.ब    19.ब    20. द 

21.स    22.अ    23.द    24.स    25.अ    26.अ    27. स   28.अ    29. द   30.स 

31.स    32.स    33.ब    34. द   35.स    36.स    37.अ    38.अ    39.ब    40.द  

41.ब    42. द   43.ब    44.ब    45.स     46. अ   47. द   48.द    49.स    50. द 








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