उत्तर - जिस समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते अपितु कोई अन्य सांकेतिक अर्थ प्रधान होता है , उसे बहुब्रीहि समास कहते हैं | दूसरे शब्दों में बहुब्रीहि समास में दोनों पदों का मूलअर्थ नहीं होता अपितु विशष्ट अर्थ या तीसरा अर्थ होता है। जैसे -
सामासिक पद विग्रह
चतुरानन चार आनन (मुख) वाले अर्थात ब्रह्मा जी
नीलकंठ नीला है कंठ जिसका अर्थात शिव जी
पीताम्बर पीला है अम्बर जिसका अर्थात श्रीकृष्ण
श्वेताम्बर श्वेत है अम्बर जिसका अर्थात सरस्वती
लम्बोदर लंबा है उदर (पेट ) जिसका अर्थात गणेश जी
दशानन दस हैं आनन (मुख) जिसके अर्थात रावण
चंद्रशेखर चन्द्र ( चन्द्रमा ) है जिसकी शिखा में अर्थात शिव जी
वक्रतुण्ड वक्र है तुण्ड (मुख) जिसका -गणेश जी
मुरारि मुर (एक राक्षस) का आरी (शत्रु) हैं जो - कृष्ण
वीणापाणि वीणा है पाणि (हाथ) में जिसके - सरस्वती
हिमालय हिम का आलय (घर) है जो - हिमालय ( विशेष पर्वत का नाम)
नीरज नीर (पानी) से जन्म लिया जो - कमल ( विशेष अर्थ )
सामासिक पद विग्रह
चतुरानन चार आनन (मुख) वाले अर्थात ब्रह्मा जी
नीलकंठ नीला है कंठ जिसका अर्थात शिव जी
पीताम्बर पीला है अम्बर जिसका अर्थात श्रीकृष्ण
श्वेताम्बर श्वेत है अम्बर जिसका अर्थात सरस्वती
लम्बोदर लंबा है उदर (पेट ) जिसका अर्थात गणेश जी
दशानन दस हैं आनन (मुख) जिसके अर्थात रावण
चंद्रशेखर चन्द्र ( चन्द्रमा ) है जिसकी शिखा में अर्थात शिव जी
वक्रतुण्ड वक्र है तुण्ड (मुख) जिसका -गणेश जी
मुरारि मुर (एक राक्षस) का आरी (शत्रु) हैं जो - कृष्ण
वीणापाणि वीणा है पाणि (हाथ) में जिसके - सरस्वती
हिमालय हिम का आलय (घर) है जो - हिमालय ( विशेष पर्वत का नाम)
नीरज नीर (पानी) से जन्म लिया जो - कमल ( विशेष अर्थ )